The Path of
Sanatan Dharma
The Path of Hinduism
सनातन धर्म का मार्ग
हिन्दु धर्म का सच्चा मार्ग

Learn Hinduism
हिंदू धर्म सीखें

At present, the entire Indian Hindu society is wandering about its own religion. People are visiting temples, crowding in pilgrimages, doing pilgrimages with Kanwar, rubbing foreheads in front of Babas, pleading in front of pictures of God, chanting mantras without understanding.
There is a plethora of gurus on social media. Some are explaining Vedanta, some are telling stories, some are explaining small remedies that just do this, this will happen in life, that will happen in life.
The reality is that for almost the entire Hindu society, Hindu religion has been limited to keeping some pictures and idols in the house. Lighting a lamp in the morning and evening, doing Aarti etc. If someone tells you to do this, keep a fast, then do that.
The knowledge of the Pandit community has also been limited to rituals. Hindu religion has now also become a business of earning money by building temples and collecting money.
On one hand, the Indian public is not able to understand whether Western civilization is superior or Indian civilization is better. Because while Western civilization shows the path of wealth, nothing like this is seen in Indian civilization. Western civilization is showing the path of progress, Indian culture shows rigidity and backwardness.

वर्तमान समय में सम्पूर्ण भारतीय हिन्दु समाज अपने ही धर्म के विषय में भटक रहा है। जनमानस मंदिरों के चक्कर लगा रहा है , तीर्थों में भीड़ लगा रहा है ,कांवड़ ले कर यात्राएं कर रहा है , बाबाओं के आगे माथे घिस रहा है, भगवान की तस्वीरों के आगे गिड़गिड़ा रहा है, बिना समझे मंत्र जप कर रहा है। सोशल मीडिया पर गुरुओं की भरमार है। कोई वेदान्त बता रहा है, कोई कथाएं सुना रहा है कोई छोटे छोटे नुस्खे समझा रहा है की बस यह कर लो जीवन में ये हो जायेगा वो हो जायेगा। वास्तविकता यह है कि लगभग समस्त हिन्दु समाज के लिये हिन्दु धर्म केवल घर में कुछ तस्वीरें रखने व मूर्तियां रखने तक सीमित रह गया है। प्रातः सायं दीपक जला लेना, आरती इत्यादि कर लेना। किसी ने कुछ बता दिया कि यह कर लो व्रत रख लो तो वह कर लेना। पण्डित समाज का ज्ञान भी कर्मकाण्ड तक सीमित हो चुका है। हिन्दु धर्म अब मन्दिर इत्यादि बनवा कर धन कमाने का व्यावसाय भी बन चुका है। एक ओर तो भारतीय जनमानस यह नहीं समझ पा रहा कि पाश्चात्य सभ्यता श्रेष्ठ है अथवा भारतीय सभ्यता। क्युंकि जब कि पाश्चात्य सभ्यता धनागम का मार्ग दिखाती है भारतीय सभ्यता में ऐसा कुछ नहीं दिखता। पाश्चात्य सभ्यता प्रगति का मार्ग दिखा रही है भारतीय संस्कृति जकड़न दिखाती है। 

What is That Exact Path That a Follower of Hinduism Needs to Follow?
वह कौन सा सटीक मार्ग है जिसका अनुसरण हिंदू धर्म के अनुयायी को करना चाहिए?

Among all these knowledge-sharing people, one thing that emerges in common is that no one person's knowledge is complete, no one institution's knowledge is adequate, no one person is able to comprehensively explain all the glories of Sanatan Dharma in detail. No one person has studied many scriptures. No one person is able to explain the complete Indian philosophy. No one person is able to answer all the questions regarding Sanatan Dharma.

इन सब ज्ञान बांटने वालों में, कदाचित एक बात उभर कर आती है कि कोई एक व्यक्ति का ज्ञान भी समग्र नहीं है, किसी एक संस्था का ज्ञान समुचित नहीं है, कोई एक जन व्यापक रूप से सनातन धर्म की समस्त विभूतियों को विस्तार से बताने में सक्षम नहीं है। किसी एक व्यक्ति ने भी अनेकों ग्रंथों का अध्ययन नहीं किया है। कोई एक व्यक्ति भी पूर्ण भारतीय दर्शन बताने में सक्षम नहीं है। कोई एक व्यक्ति भी सनातन धर्म के विषय में किसी भी व्यक्ति के समस्त प्रश्नों का समाधान करने में समर्थ नहीं है।

Establishment of
Uma Kailash Foundation
To Promote
True Hinduism
हिन्दु धर्म का मार्ग स्थापित करने के लिए
उमा कैलाश फाउंडेशन
की स्थापना

Looking at these conditions Uma Kailash Foundation was established in 2021. This is a Government registered trust with the prime objective of bringing the true path of Sanatan Dharma to the people as also bring the sciences behind Sanatan Dharma to the masses.

इन परिस्थितियों को देखते हुए 2021 में उमा कैलाश फाउंडेशन की स्थापना की गई। यह एक सरकारी पंजीकृत ट्रस्ट है जिसका मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म के सच्चे मार्ग को लोगों तक पहुंचाना और सनातन धर्म के पीछे के विज्ञान को भी जन-जन तक पहुंचाना है।